भारत का पूर्वोत्तर राज्य मणिपुर दो समुदायों के बीच हुई झड़प के बाद 80 दिनों से जल लगातार रहा है। जिसमें अभी तक लगभग 140 से अधिक लोगों की मृत्यु हुई है। और बहुत सारे लोग मणिपुर को छोड़कर जा चुके।
मणिपुर मुख्यमंत्री एन. वीरेंद्र सिंह जो भारतीय जनता पार्टी के सदस्य हैं। यहां पर हुई हिंसा को रोकने में पूरी तरह से विफल साबित हुए हैं। और ना ही भारतीय जनता पार्टी के किसी मंत्री और प्रधानमंत्री के द्वारा यहां हुई हिंसा पर अभी तक कोई टिप्पणी की गई है।
हिंसा के बाद से ही यहां पर 10 हजार से अधिक पैरामिलिट्री फोर्स को तैनात किया गया है। और यहां के इंटरनेट को पूरी तरह से बंद कर दिया गया है। जिससे राज्य में कुछ शांति हुई है।
मणिपुर में मैती समुदाय अपने आप को अनुसूचित जनजाति में शामिल होने के लिए मणिपुर हाई कोर्ट में याचिका दायर की थी। जिसको मणिपुर हाई कोर्ट ने 3 मई 2022 को समुदाय को जनजाति का दर्जा दिए जाने की मांग को स्वीकार कर लिया। जिसका कुकी और नागा समुदाय के द्वारा विरोध किया गया।
राजधानी इंफाल से 2 घंटे की दूरी पर स्थित चुराचांदपुर जिले में जब विरोध प्रदर्शन चल रहा था। तभी दोनों समुदाय एक दूसरे के आमने सामने आ गए। इसी बीच विरोध प्रदर्शन हिंसा में तब्दील हो गया। और भीड़ का हिस्सा बने 23 वर्षीय एलेक्स जमकोथांग की गोली लगने से मृत्यु हो गई। इसके बाद से यहां पर हिंसा और अधिक बढ़ गई। और मणिपुर सरकार को 10 हजार पैरामिलिट्री फोर्स को तैनात करना पड़ा। लेकिन इसके बावजूद 140 से अधिक लोगों की मृत्यु हुई। और 350 से अधिक लोग घायल हुए और 35000 से अधिक लोगों को पलायन करना पड़ा।
मैतेई मणिपुर का सबसे बड़ा समुदाय है। और यहां पर 34 मान्यता प्राप्त जनजातियां पाई जाती हैं। जो एनी कुकी ट्राइब्स और एनी नागा ट्राइब्स के रूप में वर्गीकृत हैं। राज्य की केंद्रीय घाटी में मणिपुर के भूभाग का लगभग 10% हिस्सा है। जिसमें मुख्य रूप से मैतेई समुदाय रहता है। जो राज्य की आबादी का लगभग 64.6% है।
और राज्य के शेष 90% भौगोलिक क्षेत्र में घाटी के आसपास की पहाड़ियां शामिल है। जिसमें मान्यता प्राप्त जनजातियां और कुकी समुदाय के लोगों का निवास है। जो राज्य की आबादी का लगभग 35.4% है। मणिपुर में हिंसा क्यों हो रही है?
मैतेई समुदाय क्यों चाहता है अनुसूचित जनजाति का दर्जा
मणिपुर की अनुसूचित जनजाति समिति के नेतृत्व में 2012 में मणिपुर उच्च न्यायालय के समक्ष याचिका दायर की गई। जिसमें यह मांग की गई। कि भारतीय संविधान में अनुसूचित जनजाति की सूची में मैतेई समुदाय को शामिल करना।
जिसमें याचिकाकर्ताओं ने अनुसूचित जाति में शामिल होने के लिए तर्क दिया कि 1949 में भारत संघ के साथ मणिपुर की रियासत के विलय से पहले मैतेई समुदाय को जनजाति के रूप में मान्यता प्राप्त थी। लेकिन विलय के बाद एक जनजाति के रूप में पहचान खो गई। और अनुसूचित जनजाति की मांग समुदाय को संरक्षित करने की आवश्यकता से उत्पन्न है। और मैतेई की पैतृक भूमि, परंपरा, संस्कृति और भाषा को बचाने की आवश्यकता है।
कुकी और नागा समुदाय द्वारा विरोध क्यों किया जा रहा है?
राज्य के कुकी समुदाय और नागा समुदाय का मानना है। की जनसंख्या और राजनीतिक प्रतिनिधित्व दोनों में मैतेई समुदाय का प्रभुत्व है। और राज्य के 60 से 40 विधानसभा सीटों पर इनका वर्चस्व है। और मैतेई समुदाय बहुत ही उन्नत समुदाय है।
कुकी समुदाय को लगता है। अगर मैतेई समुदाय को अनुसूचित जनजाति का दर्जा दे दिया गया।। तो उन्हें मिलने वाली नौकरी और अन्य सरकारी लाभों के नुकसान का डर सताता है। और इसके अलावा कुकी समुदाय को यह भी लगता है। मैतेई समुदाय के वर्ग मुख्य रूप से हिंदू हैं। जो पहले से ही अनुसूचित जाति अन्य पिछड़ा वर्ग के तहत वर्गीकृत हैं
मणिपुर राज्य में चल रहे संघर्ष के अन्य कारण
Manipur -राज्य में चल रहे संघर्ष का एक मुख्य कारण अगस्त 2022 में राज्य सरकार के द्वारा एक नोटिस दिया गया। जिसमें यह दावा किया गया चुराचंदपुर गौमुख संरक्षित वन क्षेत्र के 38 गांव अवैध बस्तियां है। जहां पर निवासी अतिक्रमण कर रहे हैं। और उसी नोटिस में सरकार के द्वारा यह बताया गया। की अनुसूचित जनजातियां पहाड़ी क्षेत्रों में अफीम के बागान और नशीली दवाओं के कारोबार के लिए आरक्षित बनो, संरक्षित वनों और वन्यजीवों पर अतिक्रमण है।
मणिपुर viral video की पूरी कहानी- manipur kand viral video
18 जुलाई 2023 मणिपुर से सोशल मीडिया पर एक वीडियो वायरल किया गया। जिसे देखकर पूरा भारत शर्मसार हो गया। जिसमें हजारों लोग दो निर्वस्त्र महिलाओं को रोड पर घुमाते नजर आ रहे थे।
यह घटना 4 मई 2023 की है। जब मैतेई समुदाय के तकरीबन 800 से 1000 लोगों ने कुकी समुदाय के एक गांव को चारों तरफ से घेर लिया। जिसमें एक ही परिवार के 5 सदस्य जिनमें 2 पुरुष और 3 महिलाएं शामिल थी। अपनी जान बचाकर जंगल की तरफ भागे और पुलिस को फोन किया। आनन-फानन में पुलिस मौके पर पहुंची और पांचों लोगों को अपने साथ लेकर थाने की ओर बढ़ने लगी। जहां से थाना तकरीबन 2 किलोमीटर दूर था।
जब पुलिस इन पांचों लोगों को थाने की ओर ले जा रही थी। तभी मैती समुदाय के लोगों ने पुलिस को घेर लिया। और हजारों लोगों की भीड़ ने पांचों सदस्यों को पुलिस से छीन लिया। पुलिस बल कम मात्रा में होने के कारण कुछ नहीं कर पाई। हां कुछ हद तक यह पुलिस प्रशासन की कायरता भी है।
बाद में भीड़ ने इन पांचों सदस्यों में से एक व्यक्ति को मौके पर ही मार दिया। और तीनों महिलाओं को कपड़े उतारने के लिए विवश किया। जिसमें एक महिला की आयु 21 वर्ष और दूसरी महिला 42 वर्ष और तीसरी महिला 52 वर्ष की थी। जब महिला के कपड़े उतारने पर महिला के भाई जिसकी आयु 19 वर्ष थी। उसने विरोध किया तो भीड़ ने उसे भी पीट-पीटकर मार दिया और तीनों महिलाओं को रोड पर कई किलोमीटर तक निर्वस्त्र घुमाया गया। जहां पर देखा गया कई लोग महिलाओं के जननांगों को छूते नजर आए। और एक खेत की ओर लेकर गए। जहां पर 21 वर्ष की महिला के साथ सामूहिक दुष्कर्म किया गया।
यह घटना 4 मई की है। घटना के 15 दिन बाद पुलिस थाने में रिपोर्ट दर्ज की गई। जिसमें पुलिस ने कोई संज्ञान नहीं लिया। जब 18 जुलाई को वीडियो वायरल हुआ। तो पूरे भारत में इसकी निंदा की गई और इसका विरोध किया गया। जिसके बाद पुलिस ने संज्ञान लिया और 21जुलाई तक सिर्फ 4 लगों को गिरफ्तार किया।